तू हवा है तो करले अपने हवाले मुझको
इससे पहले की कोई और बहा ले मुझको
टूट जाऊंगा बिखरने से बचाले मुझको
प्यास भुज जाये तो शबनम खरीद सकता हूँ
जख्म मिल जाएँ तो मरहम खरीद सकता हूँ
ये मानता हूँ मैं दौलत नहीं कमा पाया
मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूँ
जब भी कहते हो आप हमसे की अब चलते हैं
हमारी आँख से आंशु नहीं सँभलते हैं
अब ना कहना की संग दिल कभी नहीं रोते
जितने दरियां हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं
तू जो ख्वावों मैं भी आ जाये तो मेला कर दे
गम के मर्थल मैं भी बरसात का रेला कर दे
याद बो हैं ही नहीं आयें जो तन्हाई मैं
याद बो हैं ही नहीं आयें जो तन्हाई मैं
तेरी याद आये तो मेले मैं अकेला कर दे
सोचता था कि मैं तुम गिर के संम्भल जाओगे
ना तो मौसम थे ना हालात ना तारीख ना दिन
ना तो मौसम थे ना हालात ना तारीख ना दिन
किसे पता था की तुम ऐसे वदल जाओगे
जो आज कर गयी घायल वो हवा कोन सी है
जो दर्द ए दिल करे सही वो दवा कोन सी है
जो दर्द ए दिल करे सही वो दवा कोन सी है
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया
अब जरा ये तो बता दो की दवा कोन सी है
Ye Dr Vishnu saxena ki kavita hai
ReplyDeleteIsne same to same chaap diya wo bhi galat salat 😀😀😀