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Wednesday, 28 August 2019

तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया अब जरा ये तो बता दो की दवा कोन सी है

तू हवा है तो करले अपने हवाले मुझको 
इससे पहले की कोई और बहा ले मुझको
आईना वनके गुजारी है जिन्दगी मैंने
आईना वनके गुजारी है जिन्दगी मैंने 
टूट जाऊंगा बिखरने से बचाले मुझको 

प्यास भुज जाये तो शबनम खरीद सकता हूँ 
जख्म मिल जाएँ तो मरहम खरीद सकता हूँ 
ये मानता हूँ मैं दौलत नहीं कमा पाया 
मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूँ 

जब भी कहते हो आप हमसे की अब चलते हैं 
हमारी आँख से आंशु नहीं सँभलते हैं 
अब ना कहना की संग दिल कभी नहीं रोते 
जितने दरियां हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं 

तू जो ख्वावों मैं भी आ जाये तो मेला कर दे 
गम के मर्थल मैं भी बरसात का रेला कर दे 
याद बो हैं ही नहीं आयें जो तन्हाई मैं 
याद बो हैं ही नहीं आयें जो तन्हाई मैं 
तेरी याद आये तो मेले मैं अकेला कर दे 

सोचता था कि मैं  तुम गिर के संम्भल जाओगे 
ना तो मौसम थे ना हालात ना तारीख ना दिन
ना तो मौसम थे ना हालात ना तारीख ना दिन
किसे पता था की तुम ऐसे वदल जाओगे 

जो आज कर गयी घायल वो हवा कोन सी है 
जो दर्द ए दिल करे सही वो दवा कोन सी है 
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया 
अब जरा ये तो बता दो की दवा कोन सी है 

                              Written By Mr. Gaurav Rana



1 comment:

  1. Ye Dr Vishnu saxena ki kavita hai
    Isne same to same chaap diya wo bhi galat salat 😀😀😀

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Comments