याद है तुझे जब नजर लग जाया करती थी
तेरी नजर उतार कर काला टीका लगाया करती थी
और तेरे कहने पर हर बात मान जाया करती थी
तू झूठ बोलता था तुझे पहचान जाया करती थी
तुझे रूठा हुआ देखकर तुझे मनाया करती थी
हाँ बही ममता की मूरत थी जो तुझे गोद में सुलाया करती थी
खुद भूखी रहकर बो तुझे खिलाया करती थी
बरसात की उन लहरो में बो तुझे आँचल में छुपाया करती थी
खुद पर कोई ध्यान नहीं वो हर मुशीबत से तुझे बचाया करती थी
तू उसके कर्ज को कभी भूल जाना नहीं
अपनी माँ का दिल तू कभी दुखाना नहीं
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