मेरे ग़मों ने मुझपे कुछ यूं इनायत कर दी
मैं बहुत गुरूर से रोता था इस अकेले कमरे में
मैं बहुत गुरूर से रोता था इस अकेले कमरे में
मेरी माँ पहुंची तो दीवारों ने सिकायत कर दी
मगर जब कोई नहीं होता तब ये होते हैं
ये कागज कलम दीवारें ये मेरे साथी हैं
ये मेरे साथी हैं, मेरे साथ रोते हैं
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