तेरी मोहब्बत मैं मैंने सब जाना है
मन तो मेरा भी है तेरे करीब रहने का
मगर मेरी माँ इंतज़ार कर रही होगी मुझे घर जाना है
कि उसकी हर हरकत पर नजर है,
अखबार की क्या जरूरत है वो तो खुद एक खबर है,
ओर इस पर क्या लड़ना कोन गलत कोन सही,
हर एक की अपनी नजर है.
बहुत कर लिया इन्तजार तेरा,
अब तो सब्र भी थक गया है,
अब तेरी याद नही आयेगी,
क्योंकि ये दिल कही और लग गया है.
घर में तो में अनमूल हु,
मेरी कीमत तो बाजार में है,
नोकर बनके कोन काटे सारी जिन्दगी अपनी,
असली मजा तो व्यापर में है.
जो खुली आँखों से ना देखा हो वो बन्द आँखों से देखा है,
उसकी नफरत में भी मेने प्यार देखा है,
उसकी खूबसूरती भला वयां करू भी तो केसे,
जनाब मेने दिन में भी चाँद देखा है.
मुझे वो पसन्द थी,
करीब उसके बेखूब गया,
समंदर में तेरना सीखा था मेने,
मगर उसकी आँखों में डूब गया.
प्यार ढूँढता है तू जहान में वो तो तेरी सोहबत में है,
कभी वक्त बिता माँ बाप के साथ तू घर में नही जन्नत में है
और चाहे जितना वक्त दे दे उस आशिकी को मगर,
इस प्यार से ज्यादा ताकत कहा उस मोहब्बत में है.
लब्ज मेरे हैं मगर बात उसकी है आई है,
दर्द में वो है मगर आंख मेरी भर आई है,
की उसकी बातें तो में समझ नही पाता,
मगर उसकी खामोशियाँ बराबर समझ आई हैं
बादल गरज उठे है लगता है कयामत आने वाली है,
बड़े जोर से प्यार की बरसात आने वाली है,
वो जो इश्क के खिलाफ रहते है दरवाजे बंद रखे,
उनके भी घर बाड़ आने वाली है.
उसे में समझाने लग गया,
कि मेरा दिल किधर लग गया,
आंखे खोलकर सोता था में,
सायद इसलिए मुझे चस्मा लग गया.
जरूर उसने ही पानी दिया होगा जो बंजर जमीन पर भी पैड लग गया
आज जल्दी उठने की तयारी मे था में पर कमबख्त फिर से उसके सपनों में लग गया
ये दीवारे तेरी यादों को दिखाती है
ये दीवारे तेरी यादों को दिखाती है कहीं इन दीवारों को सबकुछ पता तो नही लग गया
जिक्र तो तेरा ही है इन गजलो में पर लगता है सायद तुम्हारा दिल कही और लग गया है
फल तो मीठे है तुम्हारे बाड़ तो तुम लगा लोगे
मगर आस्मांन तो खुला है मेरे दोस्त परिंदों से कैसे बचा लोगे
जमी तो खरीद ली है मगर असमान कैसे खरीदोगे
हुस्न बेचने वाले कई है बाजार में मगर प्यार कैसे खरीदोगे
कुछ अपने क्या मिले वो अपनों को भूल गये
राहें दिल से हम सजाये बेठे थे मगर वो किसी और को कबूल गये.
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